EPF Pension : ईपीएस 95 पेंशन पर सुप्रीम कोर्ट का जल्द आयेंगा फैसला !

देश के 70 लाख EPF Pension धारक वर्षो से अपनी ईपीएस 95 पेंशन में वृद्धि के लिए राह तक रहे है। सुप्रीम कोर्ट में चल रहे उच्च पेंशन (Higher Pension) मामले पर भी सुनवाई पूरी हो चुकी है लेकिन इसका अंतिम फैसला आना बाकि है। मीडया सूत्रों की माने तो सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा केरल हाईकोर्ट, राजस्थान हाईकोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट के फैसलों को चुनौती देने वाली अपीलों पर फैसला सुना सकता है।

आपको बता दे की 3 जजों की बेंच ने 6 दिनों की सुनवाई के बाद 11 अगस्त 2022 को EPF Pension उच्च पेंशन (Higher Pension) मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसमे चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया शामिल थे। और अब अगले सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले को अंतिम रूप दे सकता है। इसका कारण यह माना जा रहा है की, भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित 8 नवंबर, 2022 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, इसलिए आने वाले दिनों में फैसला सुनाए जाने की संभावना है।

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केरल हाईकोर्ट ने 2018 में कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना, 2014 को रद्द करते हुए, 15,000 रुपये प्रति माह की सीमा से ऊपर के वेतन के अनुपात में पेंशन का भुगतान करने की अनुमति दी। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि पेंशन योजना में शामिल होने के लिए कोई कट-ऑफ तारीख नहीं हो सकती। वही सुप्रीम कोर्ट ने भी 2019 में केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ EPFO ​​द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था। बाद में ईपीएफओ और केंद्र सरकार द्वारा दाखिल पुनर्विचार याचिका में SLP की बर्खास्तगी को वापस ले लिया गया और मामले को गुण-दोष के आधार पर सुनवाई के लिए फिर से खोल दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट की 2 न्यायाधीशों की पीठ ने अगस्त 2021 में EPF Pension मुद्दों पर विचार करने के लिए अपीलों को 3 न्यायाधीशों की पीठ के पास भेज दिया था –

  • क्या कर्मचारी पेंशन योजना के पैराग्राफ 11(3) के तहत कोई कट-ऑफ तारीख होगी।
  • क्या आरसी गुप्ता बनाम क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त (2016) में निर्णय शासी सिद्धांत होगा जिसके आधार पर इन सभी मामलों का निपटारा किया जाना चाहिए।

ईपीएफओ द्वारा उठाया गया मुख्य तर्क यह है कि पेंशन फंड और प्रोविडेंट फंड अलग हैं और बाद में सदस्यता स्वचालित रूप से पूर्व की सदस्यता में तब्दील नहीं होगी। अगर कट-ऑफ सीमा से अधिक वेतन पाने वाले व्यक्तियों को भी पेंशन प्राप्त करने की अनुमति दी जाती है, तो यह फंड के भीतर भारी असंतुलन पैदा करेगा।

2014 के संशोधन पेंशन और भविष्य निधि के बीच क्रॉस-सब्सिडी के मुद्दे को हल करने के लिए लाए गए थे। पेंशनरों ने ईपीएफओ द्वारा उठाए गए वित्तीय बोझ के तर्क को खारिज कर दिया। उनके द्वारा यह तर्क दिया गया कि कोष फंड बरकरार है और भुगतान ब्याज से किया गया है। पेंशनभोगियों ने ईपीएफओ के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि पेंशन योजना में शामिल होने के लिए कट-ऑफ अवधि के भीतर अलग विकल्प का प्रयोग किया जाना चाहिए और तर्क दिया कि ईपीएफओ का रुख क़ानून के विपरीत है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कितनी बढ़ जाएँगी पेंशन, जानिए पूरा कैलकुलेशन।

माननीय सुप्रीम कोर्ट का आदेश यदि लागु होता है तो, कर्मचारियों की पेंशन गई गुणा बढ़ जाएँगी आइये इसे समझते है –

अभी कैसे होता है कैलक्युलेशन – (पेंशन योग्य सैलरी x EPS खाते में जितने साल कंट्रीब्यूशन रहा+2 यदि 20 वर्ष से अधिक अंशदान किया है)/70 = मंथली पेंशन

अगर किसी की मंथली सैलरी (आखिरी 5 साल की सैलरी का औसत) 15 हजार रुपए है और नौकरी की अवध‍ि 30 साल है तो उसे

(15,000*30+2)/70 = 6,857 सिर्फ हर महीने 6,857 रुपए की ही पेंशन मिलेगी।

लिमिट हटी तो कितनी मिलेगी पेंशन?

अगर 15 हजार की लिमिट (EPS Upper limit) हटती है और आपकी सैलरी 30 हजार है तो आपको फॉर्मूले के हिसाब से जो पेंशन मिलेगी वो ये होगी।

(30,000X30+2)/70 = 13,714 रुपए

इस तरह से यदि देखा जाये तो कर्मचारी जब रिटायर्ड होता है उस समय उसकी जितनी वेतन होंगी, लगभग उसका आधा उसे प्रति महीने पेंशन के रूप में मिल सकता है।

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