Supreme Court Judgement On EPF Pension In Hindi – सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2014 की कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना को लेकर 04 नवम्बर 2022 को बड़ा फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2014 की कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना (Employee Pension Yojana) को वैधता को बरकरार रखा है। वही संसोधन 2014 के अनुसार पेंशन योग्य वेतन 6,500 प्रति माह को 15,000 रुपये प्रति माह रखा है।
वही पेंशन कोष में शामिल होने के लिए 15,000 रुपये मासिक वेतन की सीमा को खत्म कर दिया है। जिससे अब कई PF खाताधारक 15000 से अधिक वेतन के बाद भी योजना में शामिल हो सकेंगे जो पहले केवल EPF का ही हिस्सा थे।
क्या था ईपीएस 95 पेंशन का मामला –
दरअसल, ईपीएस 95 पेंशन योजना में कई समस्याओ को लेकर याचिका दायर थी। जिसमे कर्मचारियों के लिए अधिकतम पेंशन योग्य वेतन 15 हजार रुपये प्रति माह तक सीमित है। यानी किसी कर्मचारी की सैलरी जो भी हो लेकिन उसके पेंशन की गणना सिर्फ 15 हजार रुपये के हिसाब से तय की जाएगी।
इस मामले को इस तरह से समझा जा सकता है, जब आप कहीं जॉब करते हैं तो आपका ईपीएफओ अकाउंट खुल जाता है। काम करने वाला कर्मचारी अपने वेतन (अधिकतम 15,000) का 12 फीसदी ईपीएफ के रूप में जमा करता है। कर्मचारी की वेतन 15 हजार से अधिक होने पर भी उसे 15 हजार मानकर ही पीएफ में कटौती की जाती है और उसकी कंपनी भी उसे उतनी ही रकम देती है। लेकिन इस रकम का सिर्फ 8.33 फीसदी हिस्सा ही EPS पेंशन में जाता है। ऐसे में अगर 15 हजार की सीमा हटा दी जाती है और आपका मूल वेतन 15 हजार रुपये से जितना भी अधिक हो, उसपर 12% हिस्सा कटेंगा जिससे पेंशन की राशि भी बढ़ जाएगी।
इस सीलिंग लिमिट को हटाने, हायर पेंशन का विकल्प चुनने जैसे कई मुद्दे इसमें शामिल थे।
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Supreme Court Judgement On EPF Pension In Hindi
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन और केंद्र ने केरल, राजस्थान और दिल्ली के उच्च न्यायालयों के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें 2014 की योजना को रद्द कर दिया गया था। बता दें कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ ईपीएफओ की याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद, 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाएं खारिज करने के अपने पुराने फैसले पर पुनर्विचार का निर्णय लिया और इस मामले में पुन: सुनवाई की, अब इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फिर से अपना निर्णय दिया।
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश यू.यू. ललित, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने इस मामले को लेकर कहा कि जिन कर्मचारियों ने पेंशन योजना में शामिल होने के विकल्प का इस्तेमाल नहीं किया है, उन्हें छह महीने के भीतर इस पेंशन योजना में शामिल हो सकते हैं।
पीठ ने 2014 की योजना में इस शर्त को अमान्य करार दिया कि कर्मचारियों को 15,000 रुपये से अधिक के वेतन पर 1.16 प्रतिशत का अतिरिक्त योगदान देना होगा। हालांकि, अदालत ने कहा कि फैसले के इस हिस्से को छह महीने के लिए निलंबित रखा जाएगा। ताकि अधिकारीयो को पर्याप्त समय दिया जा सकें।
वही पीठ ने अपने फैसले (supreme court judgement) में कहा कि पात्र कर्मचारी जो ईपीएस 95 पेंशन संसोधन 2014 के समय ईपीएस का हिस्सा थे उन्हें एक अतिरिक्त मौका दिया जाना चाहिए, क्योंकि केरल, राजस्थान और दिल्ली के उच्च न्यायालयों द्वारा पारित फैसलों में इस मुद्दे पर स्पष्टता का अभाव था। चार महीने भीतर ऐसे कर्मचारियों उच्च पेंशन के लिए आवेदन करना चाहिए।
पेंशन की गणना के सम्बन्ध में पीठ ने कहा की पेंशन की गणना ईपीएस 95 पेंशन संसोधन 2014 के अनुसार होंगी। पेंशन की गणना के लिए 15 हजार की लिमिट को आधार माना जायेंगा। और पाहले जंहा 12 महीने की औसतन वेतन पर गणना होती है वही अब 60 महीने की औसतन वेतन पर गणना की जायेंगी।
श्रम मंत्रालय में भी है भ्रम की स्थति।
माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर ईपीएस 95 पेंशनर्स, पीएफ खाताधारक समेत श्रम मंत्रालय भी भ्रम की स्थति में है, लोकसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए हुए श्रम मंत्री रामेश्वर तेली ने बताया की, सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जाँच की जा रही है इसलिए अभी तक मंत्रालय या EPFO की ओर से आगे की किसी कार्यवाही के लिए कोई कदम नहीं उठाये गए है।
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